निर्धन की मौत का निर्धारण

निर्धन की मौत का निर्धारण 


किसान, एक ऐसा प्राणी होता है जिसकी फसल बिकाऊ हो न हो, पर उसकी मौत ज़रूर फायदेमंद साबित होती है ।
अब कुछ विशेषज्ञ इसके ऊपर भी अनुसन्धान करेंगे शायद । और उससे यही साबित होगा, अगर कोई किसान १० लाख का चेक होम डिलीवरी से लेना चाहता है और पार्लियामेंट के गलियारों में गूंजना चाहता है तो उसे उचित जगह चुन कर ही आत्महत्या करनी चाहिए, नहीं तो उसे मरने के बाद कुछ माप डंडों में बाँट दिया जायेग। और यह साबित करना मुश्किल नहीं होगा के उसने आत्महत्या अपनी बीवी और रिश्तेदारों से तंग आ कर की है । ये आंकड़े धोकेबाज़ हैं, इनसे बच के रहना पढ़ेगा ।]



तो अगर कोई किसान आत्महत्या करना चाहता है, तो उसे दिल्ली आ कर ही आत्महत्या करनी चाहिए । मीडिया कवरेज भी मिलेगा क्योकि मीडिया वाले दिल्ली से बैठ कर पूरे देश की न्यूज़ ईजाद करते व् बनाते हैं ।
अब हमारे नेता लोग आज कल टीवी के माध्यम से ही समस्यों को समझ पाते हैं, नहीं तो इतना समय कहाँ है उनके पास के वो सांसद अपने, चुनाव क्षेत्र में जा कर किसी से बिना सिफारिश मिल सके ।

ये facebook  व् twitter  वाले नेता हैं । किसान भाइयों को इनके हिसाब से ही आत्महत्या करनी चाहिए ।
आज चाहे प्रधान मंत्री हो चाहे मुख्य मंत्री, सभी राजनीती की भट्ठी को तपा कर उसमे किसान की हड्डियों को गला कर अपने लिए कुर्सियां बनाना चाहते हैं । MAKE  IN  INDIA के साथ किसान बचाओ, भारत बचाओ भी ज़रूरी है । और इनको बचाने के लिए आईडिया विलायत से नहीं बल्कि हिंदुस्तान  से  आएगा ।  

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