Vyavastha se Avastha tak

व्यवस्था से अवस्था 

Are we encapsulated in situations, reactions & consumptions. Always trying to find something, which we dont have, but trying and pursuing is overcasting the moments we are trying to breathe.
At times I implode, implosions become painful & thus i explode. The stretchmarks of this implosion & explosion are helping to stay disconnected from the situation & leading me to a condition.

Happiness is not a situation, but its a condition. We, or may i say, I am trying to fulfil the desires by pushing myself in situations, but the condition remains un-affected.











इस कदर व्यवस्था में जुटे हैं 
हर पल को बेचकर अवस्था से ही परे हैं 
शायद कल सुहाना हो 
जिसमे हमारा फ़साना हो 
ज़िन्दगी इक पैमाना हो 
इसी कश्मक़श में जुटे हैं 
इस कदर व्यवस्था में जुटे हैं, अवस्था से ही परे हैं


इक पल को बेचते हैं 
इक खरीदने के लिए 
तो इक आँख मींचते हैं 
अगले पल को सींचने के लिए 
रंज की स्याही से अपने ही निगह्बां को पीसते हैं 
शायद व्यवस्था में फसे हैं 
इसी लिए कल को सींचते हैं 

कल की तलाश में फिर 
आज को कोसते हैं 
कभी होते हैं मगरूर 
तो कभी बेबस हो के सोचते हैं 
मेरे अंदर कुछ मर रहा है शायद 
उसमें सांस फूंकते हैं 
अवस्था से भागते हैं 
तभी तो व्यवस्था को सींचते हैं 

गैरों के अलगाव में 
ईदी खुद का लगाव ढूंढते हैं 
अंधों से देखने की गुज़ारिश 
और गूंगों को सुनते हैं 
हैं खुद से ही मायूस 
खुद ही को टटोलते हैं 
व्यवस्था की तलाश में 
अवस्था को भूलते हैं।

Disclaimer:- The photos taken are for representative purposes only from Google.

Comments

Popular posts from this blog

GANDHIJI TALISMAN

Earthquake Vs Nimbu Mirchi

ARJUN and KRISHNA