Masandvaad ................SGPC Vs HSGMC
आज अखबारें भरी पढ़ी हैं HSGMC (जन्म। 2014) और SGPC (जन्म। 1925 ) की ख़बरों से.
बड़े बड़े न्यूज़ चैनल से ले के देसी रसाले तक इसी बात का चिंतन कर रहे हैं क गुरुद्वारों का प्रभंधन करेगा कौन?

अगर गुरु ग्रन्थ साहिब की गरिमा की बात होती, या सेवा की बात होती तो शायद इतना बवाल ही न करते ये लोग.
अब समस्या तो समझ आ गयी, पर इस समस्या का समाधान ढूंढा भी अति-आवश्यक है। तो मेरे हिसाब से उसके समाधान हेतु, हम संगत को, पैसों का माथा टेकना बंद करना चाहिए, क्योकि धरम का पैसे से कोई लेन देंन नही, भक्ति तो अपने आप में पूर्ण होती है, उसके लिए पैसे की क्या आवश्यकता, और शक्ति जिसे ये जथेबंदियाँ हासिल करना चाहती हैं, वो पैसे के बिना आ नहीं सकती। तो मेरी सारी संगत से विनती है क गोलक में पैसे डालने बंद करें। जिस से के ये लोभी जथेबंदक मसंद अपने लालच को किसी और तरीके से पूर्ण करने की कोशिश करें और गुरुद्वारों से दूर हटें।

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